Wednesday, July 22, 2009


मंडल दुर्ग एक अद्भुत अलोकिक अविस्मरनीय


स्वाध्यायी परशिक्षण के दोरान किले का भरमन करते युवा स्वाध्यायी













आदिनाथ भगवन जिनकी परतिमा किले पर बनी हुई हे




किले पर बने सागर सागरी जो बहुत ही रोचक हे




किले पर बना लोकिक मनभावक हरियाली सागर









इस दुर्ग पर ऐसे दुर्लभ और पुराने इतिहास हे की हमे गर्व होता हे की हमने इस धरा पर जन्म लिया हे यही पर गुरुदेव वेणी चंद जी मारासा ने अपने गरंथ लिखे थे जो आज भी सुरक्षित हे और जिनकी नाग देवता रक्षा करते हे वर्त्तमान में मंडल्गार्ध गाव में पूज्य यश कँवर जी मारासा का ठाना९ से चातुर्मास गुरूद्वारे में हे



  • दिनाक १७- जुलई से २० जुलाइ तक में स्वधायाई शिविर लगा जहा पर में भी गया




  • और उसी के दोरान में दुर्ग पर भी गया जहा से मेने कुछ फोटो लिए हे और उसी को ध्यान में रख कर मेने यह ब्लॉग बनाया हे




  • पूज्य गुरुदेव श्री वेनिचंद जी मारासा ने इस दुर्ग के पास स्थित मेनाल की गुफा में घोर तपस्या की थी जिनकी सेवा में देव सदा आतुर रहते थे उन गुरुदेव को मेरा सत सत वंदन




  • यहाँ पर स्थित शास्त्र संग्रह जो की पूज्य गुरुदेव के द्वारा लिखे गए हे आज भी स्तातानक में स्थ्तिः हे और पूरण रूप से चमत्कारिक हे जिनकी सेवा व् सुरक्षा नाग देवता करते हे




  • दिनांक १७ जुलाई से २० जुलाई तक मंडल गढ़ में शीतल स्वाध्यायी संघ का तिन दिवसीय आवासीय शिक्षण शिविर लगा जिसमे ७० स्वाध्यायो ने आगामी पर्व पजुशन के लिए तेयारी की और उसमे निम्न पर्तियोगितायेभी आयोजित की गई जिसमे निम्न थी




  • १ संगीत परतियोगिता प्रथम - गोतम कुमार सुराना


  • दितीय - कविता सिंग्वी




  • वक्तय परतियोगिता प्रथम - गोतम कुमार सुराना - कंवलियास


  • दितीय - प्रियंका कोठारी - गंगरार


  • तीसरा - कविता सिंग्वी - शाहपुरा




  • मंडलगढ़ में बना दुर्ग अपने आप में एक इतिहास हे जो की कई कहानियो को अपने आप में छिपाए राखी हे


  • दुर्ग पर बने सागर सगरी जो की उस समय के राजा महाराजवो के समय का वर्णन करते हे ।


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